वैसे तो आप सभी महिलाओं के लिए कोई एक दिन विशेष नहीं होता है, फिर भी आज के दिन का एक प्रतीकात्मक महत्त्व है। समाज में कई बार प्रतीकात्मक महत्त्व की महत्ता बहुत अधिक बढ़ जाती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य की बात करें तो महिला सुरक्षा और उनका सशक्तिकरण एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। संसद में महिला आरक्षण विधेयक कई वर्षों से लंबित पड़ा हुआ है। महिला सशक्तिकरण है क्या और क्यों यह बहुत ज़रूरी है? सभी महिलाओं को निडर होकर घूमने की आज़ादी कब मिलेगी? एक खुला वातावरण महिलाओं के लिए कब सुरक्षित होगा ?
हमारे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर कहा, "यह सभी भारतीयों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करता पारिस्थितिकी तंत्र बनाएं। हम महिलाओं के लिए लैंगिक समानता और सशक्तीकरण के प्रयास को दोगुना करें। हम महिलाओं को देश के विकास के हर पहलू में पूरी क्षमता से और सार्थक रूप से भागीदारी करने में सक्षम करें।"
राष्ट्रपति महोदय के कुछ शब्द जो कि वर्षों से लोगों के सामने सवाल बन कर खड़े हैं और ये शब्द इंतजार कर रहे हैं कि ये शब्द महिलाओं की समानता के परिप्रेक्ष्य में कब खत्म होंगे? "लैंगिक समानता, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को सुनिश्चित करता पारिस्थितिकी तंत्र, देश के विकास के हर पहलू में उनकी सार्थक भागीदारी" ये सभी शब्द आज भी हम सभी के सामने उत्तर जानने के लिए खड़े हैं।