Saturday, February 22, 2014

जब देश हमारा रोता है .......

मेरी यह कविता पीयूष मिश्रा के “जब शहर हमारा सोता है” कविता से प्रेरित है | मैंने इसे आज के समय से जोड़कर बनाया है | भारत में संसद की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है | नित्य नए आंदोलन जन्म ले रहे हैं और खत्म हो रहे हैं | देश के कोने कोने से न्याय की आवाजें उठ रही हैं | बस ऐसे ही ये कविता लिखा गयी | मेट्रो से अपने लक्ष्य की ओर जा रहा था तभी मैंने ये लिख डाली |
राजनीति......... ढोंग.......... खामोश बेपरवाह........!
राजनीति लेती है ...........करवटें तूफानी..................
घिरा  है देश अंधेरे  से...........
संसद में काम न होने के फेरे से.........
बढ़ते हैं अपराध इन डकैतों के कामों से,
बदनाम  है जनता इन बदनामों से .............
कहीं पे तेलंगाना की खटखट है..............
कहीं पे पुलिस और किसानों की छटपट है........
कहीं पे हैं इटली की आवाजें..........
कहीं पे वो मछुआरों के आँसू हैं...............
कहीं पे वो अधूरा विकास है..........
कहीं सब कुछ खास-खास है..........
कहीं पे उमड़ती पार्टियों का जत्था है.............
कहीं पे उड़ती अफवाहों का हौआ है..........
कहीं पे निर्दोष लोगों की जाती जाने हैं.......
कहीं कुछ राजनीति की खिड़की में सियासी हवाओं का गरम झोका है.......
कहीं पे जनता के साथ वादों का किया गया धोखा है.........
सुनसान गलियों में लोग चीख-चीखकर रोते हैं.........
जब सरकारी रोशनी में महिलाओं के साथ कुछ-कुछ होता है........
जब देश हमारा रोता है.........जब देश हमारा रोता है......... !
जब देश हमारा रोता है, तो मालूम  तुमको क्या-क्या होता है?
जागते हैं नए आंदोलन, गुम हो जाते हैं पुराने आंदोलन..........
एक नयी चेतना आती है, लिए चिंगारी घुप्प हो जाती है............
उठती हैं कोने-कोने से लिए न्याय की आवाजें.........
जब देश हमारा रोता है.... जब देश हमारा रोता है .............. !
भ्रष्ट तंत्र इन आवाजों को दबा देता है...............
जब देश हमारा रोता है.... जब देश हमारा रोता है .............. !


Monday, February 17, 2014

अन्तरिम बजट : पी चिदम्बरम का चुनावी बजट


अन्तरिम बजट : पी चिदम्बरम का चुनावी बजट

वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने भारी शोर-शराबे के बीच अन्तरिम बजट पेश कर दिया | उन्होंने अन्तरिम बजट में 2014-15 के लिए लगभग साढ़े पाँच लाख करोड़ आयोजना व्यय का अनुमान किया है और गैर आयोजना व्यय के लिए 12 लाख करोड़ अनुमानित किया है | अन्तरिम बजट में पी चिदम्बरम ने अपने बजट में हर किसी को खुश करने का प्रयास किया है | चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने रक्षा बलों के लिए एक रैंक एक पेंशन के सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है और इसके लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। एक रैंक एक पेंशन योजना पिछले 7 सालों से लटकी हुई है |  रक्षा आवंटन 10 प्रतिशत बढ़ाकर 2.24 लाख करोड़ रुपये करा दिया गया है।  जो छात्र कर्ज़ नहीं चुका पाए हैं, उनके ब्याज पर फ़िलहाल रोक लगाई गई है और अब उन्हें एक जनवरी 2014 से ही ब्याज देना होगा | इस घोषणा से नौ लाख छात्रों को फ़ायदा होगा, जबकि सरकार के ख़ज़ाने पर 2600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा | कृषि क्षेत्र में ऋण को बढ़ाते हुए 8 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है | कृषि लोन में 2% की छूट लागू रहेगी | 41 बिलियन डॉलर  की कृषि निर्यात की तुलना में इस वर्ष निर्यात 45 बिलियन डॉलर है | उन्होने सभी मंत्रालय को खुश करने का प्रयास किया है | रेलवे का अनुदान 26 हज़ार करोड़ रुपए से बढ़ाकर बढ़ाकर 29,000 करोड़ रुपए कर दिया | ग्रामीण विकास मंत्रालय को 82 हज़ार करोड़ रुपए, मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 68 हज़ार करोड़, पेयजल मंत्रालय को 16 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है |  ईधन में 65 हज़ार करोड़ रुपए की सब्सिडी आबंटित की गयी है | खाद्य सुरक्षा के लिए 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं | सीआरपीएफ़ के आधुनिकीकरण के लिए 11 हज़ार करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है | सरकारी बैंकों में 11 हज़ार 200 करोड़ रुपए का आबंटन किया गया है | सरकारी बैंकों की 8000 से ज्यादा शाखा खोलने का प्रस्ताव दिया है | ग्रामीण विकास निधि को 6000 करोड़ रुपए और शहरी आवास निधि को 2,200 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं | पूर्वोत्तर राज्यों, उत्तराखंड और हिमांचल राज्यों को 1200 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता देने का प्रस्ताव किया | सामुदायिक रेडियो को बढ़ाने के लिए 100 करोड़ रुपए का फ़ंड दिया गया | इनकम टैक्स में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है हालांकि कई प्रॉडक्ट पर एक्साइज़ ड्यूटी घटाकर उन्होंने आम आदमी को थोड़ी राहत जरूर प्रदान कर दी | अब छोटी कारें, एसयूवी कारें, टीवी, स्कूटर, मोटरसाइकिल, साबुन, फ्रिज, और देश में बने मोबाइल फोन सस्ते हो जाएंगे | सरकार ने युवाओं को ध्यान में रखते हुए दस वर्षों में 1 करोड़ नौकरियाँ सृजित करने का लक्ष्य रखा है | इसके लिए सरकार जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाएगी | युवाओं के कौशल विकास में सफलता को देखते हुये राष्ट्रीय कौशल विकास निगम को एक हजार करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव किया गया है।  बिजली के क्षेत्र में अल्ट्रा मेगा सोलर योजना शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है | चिंदबरम ने अनुसूचित जातियों के उद्यमियों के लिए 200 करोड़ रुपये की प्रांरभिक पूंजी से वेंचर कैपिटल फंड स्थापित करने का प्रस्ताव किया। 
                                उन्होंने अपने बजट में बढ़ती मुद्रास्फीति की दर पर चिंता व्यक्त की है | मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक ने मिलकर काम किया है | साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि खनन और विनिर्माण क्षेत्र को छोड़कर बाकीं सभी  क्षेत्रों में विकास हो रहा है | सरकार के ऊपर नीतिगत अपंगता के आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि पूरा विश्व 0.2% की विकास दर से गुजर रहा है | चीन की भी विकास दर घटी है | भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान मंदी में थे | फिर भी भारत की विकास दर 4.9% बनी हुई है | अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने कहा कि रेटिंग एजेंसियों ने हमारे प्रयास की सराहना की है | अभी तक इसमें खामी नहीं गिनाई है | पिछले 10 वर्षों में 6.6 फीसदी की दर से विकास हुआ है |
                              सरकार ने अपनी कई उपलब्धियों का बखान किया है | सरकार ने यूपीए-1 और यूपीए-2 की 10 वर्षों की उपलब्धियों का बखान किया है | बजट भाषण में उन्होंने कई उपलब्धियों का बखान किया है | 
·         1- सरकार 67 मामलों में गैरकानूनी विदेशी खातों के बारे में सूचना प्राप्त करने में सफल हुई है |
·         2-  राज्यों, संघों को दी जाने वाली सहायता 13 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 34 लाख करोड़ रुपए की गयी |
·        3-जनवरी 2014 के अंत तक 6 लाख 60 हज़ार करोड़ की अनुमानित लागत वाली 296 परियोजनाओं को पूर्ण करने का मार्ग प्रशस्त हुआ |
·        4--चेन्नई- बैंगलोर ,बैंगलोर-मुंबई , अहमदाबाद- कोलकाता कारीडोरों का प्राथमिक कार्य विभिन्न चरणों में चल रहा है |
·        5-चीनी के मूल्यों से नियंत्रण हटा लिया गया है और डीज़ल के मूल्यों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है |
·        6- नया भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून बना और वो 1 जनवरी 2014 से लागू हो गया  है |  
·        7- दूरसंचार, फार्म, नगर विमानन, विद्युत व्यापार, मल्टी ब्रांड रिटेल में निवेश के लिए एफडीआई नीति को उदार बनाया |
·        8- 57 करोड़ आधार नंबर जारी हुए हैं |
·        9-पीएमसीजीवाई योजना के अंतर्गत 39,144 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई हैं और 3,300 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बनाए हैं |
·         शिक्षा पर व्यय पिछले 10 वर्ष में 11 हज़ार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 80 हज़ार करोड़ किया गया है |
·        10- कोयला उत्पादन बढ़कर 554 मिलियन टन हो गया है |
·        11-  जब पूरा विश्व मंदी से गुजर रहा था तब भारत ने वैश्विक आर्थिक खतरों के बीच से आगें बढ्ने के लिए सुरक्षित रास्ता अपनाया है |
·        12-2013-14 में वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 प्रतिशत रहा |
·        13- 2013-2014 में चालू घाटा 45 अरब डॉलर रुपये रहा |
·        14-  खाद्य पदार्थों की महँगाई दर 13 से घट कर 6.2 प्रतिशत हो गई है |
·        15- कृषि क्षेत्र की विकास दर 4.6 प्रतिशत रही है |
·        16- विदेशी मुद्रा भंडार में 1500 करोड़ डॉलर की बढ़ोतरी |
·        17- मार्स आर्बिटर मिशन की स्थापना करके भारत चुनिन्दा देशों में शामिल हो गया है |
·         18-स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन का विकास हमारी सबसे बड़ी सफलता है |
·         19-महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए निर्भया फंड में 1000 करोड़ रुपए का प्रस्ताव किया गया है |
·         20-3,370 करोड़ रुपए की राशि 2.1 करोड़ एलपीजी ग्राहकों को अंतरित की गयी |
·         21-   57 हज़ार मेगावाट के थर्मल पावर प्रोजेक्ट चालू किये गए हैं |
                                          
                                                                         यदि बजट पर द्रष्टि डाली जाए तो कहीं न कहीं ये आगे के चुनाव को ध्यान में रखकर पेश किया हुआ बजट है | अन्तरिम बजट में सभी को खुश करने की कोशिश की गयी है | उत्तरपूर्वी राज्यों को विशेष सहायता देने का आश्वासन दिया है | बजट के मामले में बीजेपी का कहना है कि “इससे अच्छा तो घोषणा पत्र ही पढ़ देते |” मायावती का बजट को लेकर कहना है कि “ इसमें कुछ भी नयापन नहीं है | सरकार ने सिर्फ 10 साल की उपलब्धियां गिनाई हैं |” कहीं न कहीं ये पॉलिटिकल चुनावी भाषण है | दूसरा बड़ा सवाल ये उठता है कि यदि सरकार के पास इतनी उपलब्धियां हैं, तो फिर भी सरकार क्यों कटघरे में खड़ी है ?


Saturday, February 08, 2014

दिल्ली में पर्यावरण संरक्षण : एक बड़ी चुनौती

 नीला हौज झील 

 संजय वन महरौली/दक्षिणी मध्य रिज क्षेत्र का एक भाग है जो कि 783 एकड़ में फैला हुआ है | बढ़ते शहरीकरण और विकास के कारण महरौली रिज क्षेत्र पर लगातार दवाब बढ़ता जा रहा है | यह क्षेत्र कुतुब मीनार, कुतुब इंस्टीटुसिनल क्षेत्र, अरविन्दो मार्ग, महरौली, किशनगढ़, अरुणा आसफ आली मार्ग तक फैला हुआ है | 1927 के भारतीय वन अधिनियम के भाग 4 के तहत 1994 में संजय वन को रिजर्व वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया |    
                                                                             बढ़ते शहरीकरण और विकास के कारण महरौली रिज क्षेत्र पर लगातार दवाब बढ़ता जा रहा है | संजय वन में पानी के शुद्धिकरण को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण और एक संस्था वर्किंग विथ इनवायरमेंट काम कर रही हैं | संजय वन में एक नीला हौज झील है, जो कि कॉमनवेल्थ खेलों के समय काफी चर्चा में रही थी | नीला हौज नागरिक समूहों ने यह मामला कोर्ट में उठाया और उन्हें आश्वासन दिया गया कि झील की महत्ता और उपायदेयता वैसी ही बनी रहेगी, जैसी पहले थी | यदि आश्वासन की सच्चाई की बात की जाए तो स्थिति इसके उलट है | यहाँ का पानी पहले से अब बहुत ज्यादा गंदा हो चुका है | उसमें थर्माकौल, कूड़ा-करकट, सीवर का पानी आता है | पानी से बदबू आती है | यहाँ ड्यूटी करने वाले एक गार्ड ने बताया कि “पहले यहाँ से हम पानी पीते थे, लेकिन अब तो इसमें सीवर का पानी आने लगा है | मछलियाँ लगभग खत्म हो चुकी हैं | पहले स्थिति कुछ और थी लेकिन अब कुछ और है | विकास के कारण हम हमारे प्राकत्रिक स्रोतों को लगातार खत्म करते जा रहे हैं |”  दिल्ली विकास प्राधिकरण का कहना है कि यहाँ बायोडायवर्सिटी पार्क बनाया जाएगा | अभी कुछ ही दिन पहले नीला हौज की सफाई के नाम पर पानी से जलकुंभी हटाई गयी हैं, लेकिन हटाई गयी जलकुंभी अभी भी पानी के किनारे पड़ी हुई हैं | सवाल यहाँ ये उठता है कि पानी के शुद्धिकरण के लिए जिस तरह से काम किया जा रहा है क्या वो संतोषजनक है ? किशनगढ़ सीवर लाइन का पानी भी इन्हीं तालाबों में गिरता है | संजय वन का उद्देश्य जल सरंक्षण करना, तालाबों का विस्तार करना, पानी के स्तर को बढ़ाना, कहाँ तक पूरा हो पा रहा है | यदि इस क्षेत्र में जल सरंक्षण पर कोई प्रभाव पड़ता है तो उसका प्रभाव पूरे क्षेत्र में पड़ेगा | दिल्ली में 1983 से लेकर 2010 तक विकास के नाम पर रिज क्षेत्र पर लगातार दवाब पड़ा है | ऐसे में लोगों को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए दिल्ली के लिए पर्यावरण सरंक्षण, जल सरंक्षण बहुत जरूरी हो जाता है |  
             
             
  

Tuesday, February 04, 2014

कैंसर : एक बड़ी चुनौती

  आओ प्रण लें ,कैंसर को दूर करने का 
 भारत के लिए 13 जनवरी, साल 2014 का दिन कुछ मायनों में गौरव का दिन था | इस दिन भारत में पोलियो के एक भी मामले ना आते हुए पूरे तीन साल हो गए थे | आज विश्व कैंसर दिवस है | कैंसर बीमारी भारत ही नहीं पूरे विश्व में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में चुनौती बन कर सामने आ रही   है | कैंसर के रोगियों की बात भारत में की जाए तो यह दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | सरकार ने माना कि देश में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है और पिछले साल इनकी अनुमानित संख्या करीब 11 लाख थी। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने 2012 में राज्यसभा को  दिये भाषण में कहा था कि कैंसर रोगियों की अनुमानित संख्या वर्ष 2009 में 10,45,268 थी जो वर्ष 2010 में 10,66,483 और वर्ष 2011 में 10,88,570 रही । यूरोपीय संघ के देशों में कैंसर के आर्थिक पहलू पर पहली बार हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इस बीमारी से करीब 10,458 अरब रुपये का बोझ पड़ता है | एक समाजसेवी संगठन कैंसर रिसर्च यूके ने इसे ''भारी बोझ'' कहा है | लांसेट आंकोलॉजी में प्रकाशित इन आंकड़ों में दवाओं, इलाज और इस दौरान कमाई के नुकसान को भी शामिल किया गया है | ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी और किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 2009 में यूरोपीय संघ के सभी 27 देशों के आंकड़ों का अध्ययन किया था | बानयूए तांग पत्रिका के अनुसार, चीन में हर मिनट कैंसर रोग से ग्रस्त 6 लोगों का पता चल रहा है | पूरी दुनिया में कैंसर की बीमारी और इससे होने वाली मौतों में इज़ाफ़ा हो रहा है | एक अनुमान के मुताबिक़ सिर्फ़ 2012 में ही कैंसर के 1.4 करोड़ नए मामले सामने आए | विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) की रिपोर्ट दर्शाती है कि अगले दो दशक के दौरान हर साल कैंसर के नए मामलों की संख्या बढ़कर 2.2 करोड़ हो सकती है इस रिपोर्ट के मुताबिक़ इस दौरान कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या हर साल 82 लाख से बढ़कर 1.3 करोड़ हो जाएगी |

फेफड़े का कैंसर 

                                            यदि कैंसर के विभिन्न प्रकारों की बात की जाए तो कैंसर बीमारी कई प्रकार की हो सकती है | फेफड़ा कैंसर, स्तन कैंसर, बड़ी आंत कैंसर, लिवर कैंसर, स्टमक कैंसर, मुख कैंसर,ब्लड कैंसर आदि इन्हीं के उदाहरण हैं | दुनिया भर में कैंसर के मामलों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा कैंसर के मामले फेफड़े, स्तन और बड़ी आंत के आतें हैं | लिवर, स्टमक कैंसर के भी कई मामले सामने आयें हैं | हर साल सबसे अधिक मौतें फेफड़े के कैंसर से होतीं हैं और इसके बाद स्तन कैंसर से होती हैं | एशिया में ब्लड कैंसर एक बहुत बड़ी समस्या है | ब्लड कैंसर का बच्ची वाला विज्ञापन तो आप सभी ने देखा ही होगा | भारत में कैंसर रोगियों के बढ्ने का एक बड़ा कारण तंबाकू भी है | स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने 2012 में राज्यसभा को  दिये भाषण में कहा था देश में तंबाकू सेवन के कारण होने वाले रोगों की वजह से प्रत्येक वर्ष 8-9 लाख लोगों की मौत हो जाती है | देश में 40% कैंसर का कारण तंबाकू है कैंसर के मामलों को दर्शाता हुआ ये चार्ट कई बातों को स्पष्ट कर रहा है | यह चार्ट 2012 में कैंसर के फैलाव को दर्शा रहा है |
प्रकार
नए मामले
कुल मामलों का प्रतिशत
फेफड़ा
18 लाख
13
स्तन
17 लाख
11.9
बड़ी आंत
14 लाख
9.7

सरकार द्वारा किए गए प्रयास :                                                                        
यदि भारत में कैंसर के रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों की बात करें तो सरकार इसके लिए प्रयत्न कर रही है लेकिन ये सभी कोशिशें बहुत कम हैं | भारत सरकार ने कैंसर को रोकने के लिए और इलाज के उद्देश्य के लिए 1975-76 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया |  बीमारों की बदलती आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए इसमें तीन संशोधन किए गए जिसमें तीसरा संशोधन दिसंबर 2004 में हुआ। समस्‍या की गंभीरता और देश में कैसर के इलाज की सुविधाओं की उपलब्धता में भौगोलिक स्‍तर पर ध्यान केंद्रित किया गया। कार्यक्रम की संभावनाओं को देखते हुए विभिन्न योजनाओं के तहत सहायता राशि बढ़ा दी गई है।
संशोधित कार्यक्रम के अंतर्गत 5 महत्‍वपूर्ण स्‍कीमें आती हैं:
  • नए क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों को मान्‍यता। इन केंद्रों को 5 करोड़ रुपए का एकबारगी अनुदान दिया जाता है।
  • पहले से विद्यमान क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों को मजबूत बनाना। इन केंद्रों को 3 करोड़ रुपए का एकबारगी अनुदान दिया जाता है।
  • ओंकोलॉजी विभाग की स्‍थापना के लिए सरकारी संस्‍थानों (मेडिकल कालेजों और सरकारी अस्‍पतालों) को दिए जाने वाले अनुदान की राशि बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दी गई है।
  • जिला कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम - इन्‍हें दिए जाने वाले अनुदान की रकम बढ़ाकर 90 लाख रुपए कर दी गई है जिसे 5 वर्षों में दिया जाएगा।
  • विकेंद्रीकृत गैर-सरकारी संगठन स्‍कीम - सूचना, शिक्षा और संपर्क गतिविधियों के लिए गैर-सरकारी संगठनों को प्रति शिविर 8 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा।
  • सरकार तंबाकू का सेवन न करने के लिए कई तरह के विज्ञापन चला रही है |                                                  
कैंसर बीमारी के रोकथाम के उपाय :

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में कुल कैंसर के मामलों में 60 प्रतिशत से अधिक मामले अफ्रीका, एशिया और मध्य और दक्षिण अमरीका से हैं | ज़्यादातर कैंसर से होने वाली मौतें जानकारी न हो पाने के कारण हो जाती हैं | यदि समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है | कैंसर किसी भी अवस्था में हो सकता है | बचपन में होने वाले कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है, बस इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है | कल-कारखानों में सुरक्षा मानकों की कमी के चलते बड़ी संख्या में कैंसर फैल रहा है | सरकार को इस दिशा में कड़े कदम उठाने की सख्त जरूरत है | यदि  सरकार के बजट की बात करें, तो कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए सरकार का बजट बहुत कम है | इसके लिए शोध को बढ़ावा देना चाहिए लेकिन ये सब बहुत धीमी गति से हो रहा है | समय के साथ-साथ कई तकनीकियाँ हमारे सामने आ रही हैं |
कैंसर का इलाज : एक बड़ी समस्या
भारत देश में कैंसर के इलाज की एक बहुत बड़ी समस्या है | पहली सबसे बड़ी समस्या अस्पतालों की कमी होना है | लोगों को कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज कराने के लिए दूर-दराज क्षेत्रों में जाना पड़ता है | सरकारी  अस्पतालों में तो इन जैसी बीमारियों के लिए अपने नंबर का कई-कई महीनों इंतेजार करना पड़ता है | ऐसे में एक गरीब इंसान पैसे की कमी के चलते इलाज समय रहते नहीं करा पाता है |  निजी अस्पतालों की बात की जाए तो उनका इलाज बहुत मंहगा है | दवाइयों के खर्चे की बात करें तो काफी ज्यादा आता है | लेकिन अभी हाल-फिलहाल में दवा बनाने वाली कंपनी नोवार्टिस सुप्रीम कोर्ट में भारत के पेटेंट कानून के खिलाफ मामला हार गयी है |  यह कदम भारत ही नहीं वरन कई विकासशील देशों के लिए कैंसर से लड़ने के लिए मील का पत्थर साबित होगा | यह जीत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नोवार्टिस दवा कंपनी का कैंसर का खर्च करीब एक लाख 30 हज़ार रुपए प्रति महिना है और अब इसका खर्च लगभग 9,000 रुपए प्रति महिना हो जाएगा |
                                                कैंसर बीमारी कोई बड़ी बीमारी नहीं है | इसका इलाज संभव है | अगर समय रहते इसका इलाज करा लिया जाए | विश्व स्तर पर कई संस्थाएं कैंसर के रोकथाम के लिए कार्यरत हैं | 

Sunday, February 02, 2014

हम सब एक हैं, फिर नाइंसाफी क्यों ?



“भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 कहता है धर्म, समुदाय, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर राज्य किसी भी नागरिक के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा |” दिल्ली के लाजपतनगर में अरुणाचल प्रदेश के नीडो तनियम की हत्या के बाद लोगों ने भारी संख्या में आकर जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन और कैन्डल मार्च किया | सामाजिक कार्यकर्ता बिना लक्ष्मी का
बिना लक्ष्मी बोलते हुए 
कहना है कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएंगी तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे | हम भारत में एंटी रेसिस्ट लॉं (anti racist law) की मांग करते हैं | हम इसके लिए दिल्ली सरकार, प्रधानमंत्री से बात करेंगे |
नीडो तनियम की हत्या कोई पहली हत्या या घटना नहीं है | ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है | मई 2013 में चिराग दिल्ली में उत्तर पूर्व की एक महिला की लाश संदिग्ध परिस्थितियों में पड़ी मिली थी | फरवरी 2013 में कुछ अज्ञात लोगों ने मणिपुर के 10 छात्रों को घायल कर दिया था | नवंबर 2010 में मणिपुर की एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना घटी थी | अप्रैल 2009 में महिपालपुर में एक किशोरी के साथ बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गयी |  ऐसे ही कई मामले हैं, जिनसे एक सवाल उठता है कि “आखिरकार उत्तर-पूर्वी राज्यों के लोगों को लगातार निशाना क्यों बनाया जा रहा है?” सामाजिक कार्यकर्ता राबर्ट तमंग’(Robert tamang) ने इन जैसी घटनाओं के बढ्ने के कारणों के बारे में बताया कि “ये घटनाएँ प्रतिदिन होती हैं | किसी को पीटा जाता है, किसी पर भद्दे व्यंग किए जाते हैं | इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को कमीशन बैठाना चाहिये, विशेष पुलिस सेल बनानी चाहिए |
                                     पौरमई छात्र संघटन के उपाध्यक्ष विपुनी रूहमर (vipuni ruhmar ) ने कहा कि सात उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है | आफ़स्पा क्यों अभी तक लगाया हुआ है, हम लोकतान्त्रिक देश में रह रहे हैं | आफ़स्पा क्यों नहीं दिल्ली में लगा देना चाहिए, यहाँ तो कई बड़े गुंडे हैं |  हम समानता लाना चाहते हैं लेकिन ये समानता उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए क्यों नहीं ?
                                     “सेंटर ऑफ नॉर्थ ईस्ट स्टडीज़ की रिपोर्ट कहती है कि उत्तर-पूर्वी के लोगों का यहाँ की पुलिस, न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होता जा रहा है |भेदभाव के बारे में अधिकतर उत्तर-पूर्वी के लोगों ने यही कहा कि हमें चिंकी, चाउमीन और कभी–कभी तो चाइनीज सम्बोधन से पुकारा जाता है | सवाल यहाँ ये उठता है कि वे भी भारतीय हैं तो फिर उन्हें इस तरह  के भेदभाव का सामना क्यों करना पड़ता है | यह बात ठीक है कि उनकी संस्कृति, भाषा, रंग-रूप अलग है लेकिन हम सभी पहले भारतीय हैं |  इन जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए हमें सबसे पहले अपने शिक्षा-पद्धति को बदलना होगा |  शुरुआती पाठ्यक्रम की किताबों में उत्तर पूर्वी राज्यों के बारे में विस्तार से बताया जाना चाहिए ताकि उत्तर-पूर्वी राज्यों का  मुख्यधारा के राज्यों के साथ मेल-मिलाप और जुड़ाव बढ़ सके | एक आठ वर्षीय छात्रा सुभान्शि कान्त का कहना है कि “हमें पता ही नहीं है कि उत्तर पूर्वी राज्य कहाँ हैं ? हमें इस बारे में ज्यादा पढ़ाया ही नहीं जाता है |
                                       अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सांसद खिरेन रिजिजू (khiren rijiju) का कहना है कि “ हमें बहुभाषीय, बहुसांस्कृतिक होने का गर्व है, लेकिन द्वितीय नागरिक की तरह का व्यवहार हम स्वीकार नहीं कर सकते |”
                                           कुछ सवाल मैं आप सभी से पूछना चाहता हूँ ऐसी घटनाएँ लगातार क्यों बढ़ती जा रही हैं क्या वास्तव में भारत सरकार भारत की सात बहनों के साथ सौतेला व्यवहार करता है ? हमारी शिक्षण पद्धति कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार तो नहीं है ? आपके अनुसार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या-क्या करना चाहिये ? मानसिकता बदलनी चाहिए लेकिन कैसे ?