बात शायद
पिछले वर्ष में सितम्बर महीने की है,जब मैं अपने दोस्त प्रिंस के साथ गुड़गाँव जा रहा था | प्रिंस खुराना ने मुझसे
गुड़गाँव चलने के लिए कहा था |
मैंने जब प्रिंस से पूंछा कि हम किस लिए गुड़गाँव जा रहे हैं तो उसने बताया कि मेरा लकी ड्रा कूपन निकला है
और उस लकी ड्रा कूपन के लिए मुझे अपना नाम पंजीकरण कराना
है | इसलिए हम
गुड़गाँव जा रहे हैं |
अब इस
बात की उत्सुकता तो होगी कि उस लकी ड्रा कूपन में ऐसी क्या बात
है , मैंने
उत्सुकतावस तुरंत पूंछा कि उस लकी ड्रा कूपन में ऐसी क्या बात है कि तुम अपना
नाम पंजीकरण कराने के लिए खाना छोड़कर आ गए और मुझे भी अपने साथ ले लिए । तब
प्रिंस ने कहा - ठहर जाओ , बाद में
बताऊंगा | एक
अच्छा ऑफर है तुम्हारे लिए ।
मेट्रो अपने लक्ष्य की ओर बढती जा रही थी , स्टेशन पर स्टेशन पार होते
जा रहे थे । मेट्रो में भीड़ और भीड़ में धक्का -मुक्की । यह सब तो मेट्रो में आम
बात है । इस बात को करीबी से वही जानते होंगे जो प्राय: मेट्रो में यात्रा करते
हैं । मैं भी करता हूँ और अधिकतर लोग भी समय की बचत के लिए मेट्रो से यात्रा
करते हैं लेकिन यही धक्का -मुक्की कभी - कभी एक दूसरे को कुछ समय के लिए
जुदा कर देती है , तो वे
बेचैन हो उठतें हैं । ऐसा ही हमारे साथ यात्रा कर रही एक विवाहिता स्त्री के साथ
घटित हुआ । हम लोग मेट्रो से अपने लक्ष्य की ओर जा रहे थे उसी बीच एक स्टेशन से
विवाहिता स्त्री चढ़ी लेकिन दुर्भाग्य यह हुआ जैसे ही वह मेट्रो में घुसी , उतने में ही गेट बंद हो गया
और उसका पति बाहर रह गया । अब महिला बहुत तनाव में आ गयी । तनाव होने का
पहला कारण, पति का
छूट जाना , दूसरा
उसका फ़ोन भी उसके पति के पास रह गया था । वह एक तरह से चिल्ला कर कह रही थी कि
मेरी बात करा दो । बस वह एक फ़ोन कॉल करना चाहती थी अफ़सोस उसकी बात
सुनने को कोई तैयार न था । वह एक प्यारे से बच्चे को सीने से लगाये हुई थी । उसे
समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ? मैं और प्रिंस इस घटनाक्रम को अच्छी तरह से देख रहे थे । प्रिंस
का गुड़गाँव में लकी ड्रा कूपन में पंजीकरण कराने का थोड़ा ही
समय बचा था । पहले तो हम लोगों के मन में यह बात आई कि अगर इसकी सहायता करेंगें तो
वहां पंजीकरण का समय समाप्त हो जायेगा लेकिन दूसरी तरफ यह डर लग रहा था कि
अगर इसकी सहायता नहीं करेंगें तो सब गड़बड़ हो जाएगी । तो मेंने प्रिन्स से
कहा कि पहले तो इनकी फ़ोन पर पति से बात करा देते हैं तब
मैंने अपना फ़ोन उन्हें दे दिया । उन्होंने बात की फिर उनके पति ने मुझसे
फ़ोन पर कहा कि बेटा अगर आप इन्हें अगले स्टेशन पर उतार दें और साथ में आप
भी उनके साथ रहें तो मैं फ़ोन करके आप से पूंछ लूँगा कि आप कहाँ खड़े हैं ? मैंने झट से जवाब दिया -
ठीक है। मैं अगले स्टेशन पर उतर जाऊंगा । प्रिंस ने मुझसे कहा कि मुझे तो
पंजीकरण कराने जाना है तो मैंने कहा कि ऐसा कर तू चला जा ,मैं अगले स्टेशन पर उतर
जाऊंगा । प्रिंस ने बोला कि ठीक है । मैं और महिला उतर गए । फिर मैंने उनको फ़ोन
किया कि हम लोग स्वचालित सीढ़ियों के पास खड़े हैं जो कि १ नंबर प्लेटफार्म
की ओर जाती है । उनके पति वहां आये , उन्होंने मुझे धन्यवाद कहा । उस समय मन में एक अच्छी सी भावना उमड़
कर आयी कि मैंने आज बहुत अच्छा काम किया लेकिन दूसरी तरफ दिल ने कहा कि हमारा समाज
कितना स्वार्थी होता जा रहा है .....
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