Tuesday, January 07, 2014

दिल्ली में बेघरों की हालत जस की तस

 दिल्ली में बेघरों की हालत खस्ता
  

दिल्ली ही नहीं पूरे भारत में रैनबसेरा की समस्या एक बहुत बड़ी समस्या है | दिल्ली में दिसंबर के महीने में तापमान 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है और ऐसी परिस्थितियों के बीच फुटपाथ और फ़्लाइओवरों के नीचे बेघरों की कतार दिल्ली में एक आम नजारा है | दिल्ली में काँग्रेस समर्थित केजरीवाल सरकार ने घोषणा की थी कि अगले कुछ ही दिनों में दिल्ली में बेघरों के लिए 100 रैन बसेरा बनेंगे | उनहोंने ये भी कहा था कि इस समस्या से निजात के लिए सभी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित क्षेत्र से निर्वाचित विधायकों और जनता के सहयोग की जरूरत है | सरकार ने ये भी एलान किया है कि शहर में पड़ रही कड़ाके की ठंड के मद्देनज़र बेघरों को छत प्रदान करने के लिए प्लास्टिक के टेंट से चलाये जा रहे सभी रैन बसेरों को तीन दिन के भीतर पोर्टा केबिन में बदल दिया जाएगा | प्लास्टिक टेंट सर्द हवाओं को रोक नहीं सकते हैं, जबकि पोटा टेंट ऐसा कर सकते हैं | दिल्ली सरकार द्वारा की गयी अहम घोषणाओं में से रैनबसेरा बनाया जाना एक प्रमुख घोषणा है अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि अचानक से रैन बसेरा के बारे में बात कैसे? इसका उत्तर दिल्ली सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं में छिपा हुआ है | दिल्ली में जनता के बीच नवनिर्वाचित सरकार की छवि एक ईमानदार, कार्य करने वाली, वादों को पूरा करने पार्टी के रूप में बनी हुई है |

                                       ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि वास्तव में अभी तक कुछ काम हुआ है या नहीं | बेरसराय, जो कि महरौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और वहाँ से विधायक बीजेपी के प्रवेश सिंह वर्मा हैं | जब फ़्लाइओवर के नीचे रात में लगभग 12:30 पर स्थिति को देखने गया तो स्थिति अभी तक जस की तस है | वहाँ लोग खुले में सो रहे थे | बस चारों ओर चादर दुहरी-तिहरी कर लगा रखी थी | हाड़ कपा देने वाली ठंड की आवजाही जारी थी, लेकिन लोग फ़िर भी जीवन की नयी सुबह के लिए सो रहे थे | बस छत की जगह फ़्लाइओवर था, जिसमें लगातार गाड़ियों की खट-खट की आवाज सुनाई दे रही थी | वहाँ स्थिति ये है कि वहाँ घुसते ही बदबू, गंदगी दिखाई देने लगती है | उनके सोने के स्थान के पास भगौने पड़े हुए थे और थोड़ी ही दूरी पर कुत्तों के समूह घूम रहे थे | आगें बढ्ने पर भी यही हाल था | जब मैंने इस बारे में एक व्यक्ति से कहा कि सरकार ने आपके लिए रैनबसेरों की घोषणा की है तो उसका कहना था कि हर सरकार ऐसे ही घोषणा करती है, लेकिन मुझे इस पार्टी से थोड़ी आशा जरूर है कि ये पार्टी हमारे लिए काम करेगी |”
                               खैर अभी घोषणा हुए 2-3 दिन ही हुए हैं | समस्या से निजात पाने में वक़्त तो लगेगा ही, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कितना वक़्त लगेगा | इन बेघरों को कब तक अपनी ज़िंदगी इन्हीं सर्द हवाओं के बीच कड़कड़ाती ठंड में बितानी होगी | ये भी ध्यान रखने योग्य है कि इस समय तापमान लगभग 2-4 डिग्री हो जाता है | शहरी विकास मंत्री मनीष सिसौदिया और सामाजिक कल्याण मंत्री राखी बिड़ला ने कई रैनबसेरों का दौरा किया और वहाँ की व्यवस्था को देखकर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई |  सवाल यहाँ कई और भी हैं | एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि व्यक्तियों, खासकर से गरीब वर्ग की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी है ? यह ज़िम्मेदारी खुद व्यक्तियों की है या राज्य की | वैसे संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धांतों के आधार पर ये ज़िम्मेदारी राज्य की बनती है |
                                              हालांकि पिछली सरकारों के कार्यकाल को देखकर यही लगता है कि वे इस समस्या के लिए ज्यादा गंभीर नहीं थी | इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सीकरी ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि आप आँखें बंद करके चलें तो वाकई शहर में कोई बेघर नहीं है | अभी कल ही सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी | इससे पहले भी सूप्रीम कोर्ट ने बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के रैन बसेरों की हालत पर नाराजगी जताई थी | दिल्ली में रैन बसेरों को तोड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी और सभी को फ़िर से बनाने का आदेश दिया  था | इससे एक सवाल और भी उठ रहा है इन सब मामलों के लिए हमेशा कोर्ट को क्यों आगें आना पड़ता    है ?
                                  यूं तो दिल्ली की सर्द रातों में किसी मंत्री का बेघरों के बीच जाकर उनसे उनसे परेशानियां पूछना जनता के बीच एक अच्छी तस्वीर पेश कर रहा है, लेकिन कई आलोचकों का कहना है कि ये कहीं जनता को लुभाने का कोई प्रपंच भर तो नहीं है | आशा करता हूँ कि सरकार जल्द से जल्द इन लोगों की भी सुध लेगी और उनके लिए रहने का उचित प्रबंध  कराएगी |  

No comments:

Post a Comment