Wednesday, August 27, 2014

काश! तुम न लौटतीं वक्त पर...

                   
दोस्तों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार । आज ऑडियो ब्लॉग की अगली कड़ी में मैं आज अपनी मंडली की एक सीनियर प्रीति तिवारी का ब्लॉग आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ ।
'मैं' जाना चाहती हूँ हर उस जगह जहां भी मेरा मन हो, घर लौटना चाहती हूँ अपनी मर्ज़ी से, मजबूरी में कभी कभार नहीं, हमेशा एक आदत की तरह, जीना चाहती हूँ इसी तरह... पर निराश हूँ, बहुत ज्यादा तो नहीं पर कम भी नहीं क्योंकि...................सुनिए और मुझे आशा है कि आपको ये पसंद आएगा । आपके प्रोत्साहन के कारण   अभी यहाँ तक पहुँच पाया हूँ । आप  सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया । बस ऐसे ही साथ देते रहिये । इस लेख का मूल लिंक ये है --- http://constructive-aawargi.blogspot.in/2014/08/you-never-said-no-to-rules-why.html



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