जब कभी मैं रेलवे स्टेशन पर जाता हूँ किसी भी काम
से, हमेशा एक बात महसूस होती है | मुझे महसूस होता है कि “आज हम
कहाँ जी रहे हैं, हम किस वक़्त में जी रहे हैं |” लोगों की आँखें बहुत कुछ बयां कर देती हैं | अगर
आप गौर करें तो आपको कई बातें पता चल जाएंगी | लोगों की
समस्याएँ, लोगों का जीवन स्तर, आँखों
में आशाएँ लिए हुए, आँखों में दर्द,
आँखों में क्रांति; आपको बहुत कुछ देखने तथा महसूस करने को
मिल जाएगा | “जब कभी मैं स्टेशन पर जाता हूँ मेरे मन में
कई सवाल उठने लगते हैं | हम विकास के पथ पर कहाँ तक
पहुंचे हैं, हमारा विकास किसके लिए है ? आपको वास्तविक विकास की झलक
देखनी हो तो आप स्टेशन पर जनरल कोच के पास जरूर घूमें या जनरल कोच में जरूर यात्रा
करें | ”वहाँ लोगों के हाव-भाव
खुद-ब-खुद बहुत कुछ बयां कर देंगे |
स्टेशन पर
बैठे लोगों की आँखें बहुत कुछ कह देती हैं | कुछ अपनी
मंज़िल तक पहुँचने के लिए बेचैन रहते हैं, कुछ नयी ज़िंदगी की
शुरुआत करने जा रहे होते हैं, कुछ और मकसद से जा रहे होते
हैं | हर कोई कुछ न कुछ करने जा रहा होता है | आपने कभी गौर किया है कि रेलगाड़ी में जनरल कोच कम क्यों होते हैं ? सरकार ने पहले से ही जनरल लोगों को हासिए पर रख रखा है | आप कभी भी किसी भी ट्रेन में जनरल कोच में यात्रा करेंगे तो आपको पता चल
जाएगा कि जनरल कोच में यात्रा करना कितना कठिन है | मैंने भी
यह अनुभव कई बार लिया है | आपको जनरल कोच की यात्रा करने से
एक बात पता चल जाएगी कि विकास के पथ पर हम कहाँ तक बढ़ पाये हैं ?
“ट्रेन के डब्बों से क्लास का डिविजन पता चल जाता है |” एसी कोच में जितनी बर्थ आरक्षित होंगी उतने ही उस कोच में लोग होंगे | कोई वेटिंग में लोग नहीं होंगे | वहाँ साफ-सफाई बहुत ज्यादा होगी | बाथरूम स्लीपर कोच की अपेक्षा ज्यादा साफ होंगे
| वहाँ आपको एक भी फेरी वाले भी नहीं मिलेंगे क्योंकि उनको
एसी कोच में जाने की अनुमति नहीं है | रेलवे को एसी कोच की
सुविधाओं की बहुत फिक्र है | यहाँ अधिकतर लोग शांत बैठे
होगें तथा बहुत कम बात कर रहे होगें | “यहाँ गौर करने
वाली बात ये है कि रेलवे को समान रूप से
सभी कोचेस की साफ-सफाई का ध्यान रखना है |”
स्लीपर कोच की
तरफ बढ्ने पर एक नयी क्लास का पता चलेगा | वहाँ आपको
आरक्षित सीटों से ज्यादा लोग मिल जाएंगे | बहुत लोग वेटिंग
का टिकट ले कर अपनी बर्थ की जुगाड़ के लिए घूम रहे होंगे |
स्लीपर क्लास में आपको चाय वाला, नमकीन वाला, और भी बहुत फेरी वाले मिल जाएंगे | झाड़ू लगाने वाले, भीख मांगने वाले और करतब दिखाने वाले भी मिल जाएंगे | स्लीपर कोच में बाथरूम की स्थिति बहुत ही दयनीय दशा में होती है | ट्रेन में लोग कई ज्वलंत मुद्दों पर बात कर रहे होते हैं | भारत में सबसे कम भीड़ आपको कहाँ मिलेगी ? सोचने और
विचारने पर पता चलेगा कि सबसे कम भीड़ पॉश कॉलोनी में है |
उससे ज्यादा भीड़ मध्यम श्रेणी के रहने के स्थानों में मिलेगी और सबसे ज्यादा भीड़ बस्तियों में मिलेगी | बिल्कुल यही हाल
ट्रेन का है |
जनरल कोच की तरफ बढ़ने पर यकायक आपको भीड़, गंदगी के दर्शन होने लगेगे और यह होना लाजिमी भी है | आपको जनरल कोच में लोग ज़मीन पर, समान रखने वाली जगह
पर, बाथरूम के पास गैलरी में चद्दर में लोग लटके हुए मिल
जाएंगे | कुछ खड़े-खड़े सोते हुए आपको
मिल जाएंगे | और इसी बीच आपको बाथरूम जाना हो तो आपको कई
लोगों के ऊपर से गुजरना होगा | हो सकता है कि धक्का-मुक्की
भी करनी पड़े | बाथरूम पहुँच कर आपको घिन आने लगेगी क्योंकि
वहाँ कोई सफाई करने ही नहीं आता है | कहने का मतलब यह है कि
आज भी गरीब तबके को सरकार ने हाशिये पर रख रखा है और इसमें सिर्फ सरकार ही नहीं हम
गरीब तबके के लोग भी कुछ हद तक दोषी हैं | पुलिस वाले भी
इन्ही डब्बों में आकर दादगीरी दिखाते हैं क्योंकि और कहीं वे दिखा नहीं सकते हैं | जनरल कोच में मूलभूत व्यवस्थाओं की धज्जियां उड़ी हुई होती हैं |
अंत में
आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ कि “आप आज वर्तमान में भारत को गरीबों के विकास
के मामले में कहाँ देखते हैं या गरीब तबका
आज सिर्फ महज वोट बैंक बन कर रह गया है |” सरकार द्वारा गरीबों का मज़ाक
उड़ाया जाना यह प्रदर्शित करता है कि सरकार को इस तबके के विकास से कोई मतलब नहीं
है | सवाल यह है हर स्टेशन पर एसी कोच में सफाई होती
है तो अन्य कोच में क्यों नहीं ? कुछ विद्वान जन इसके समर्थन
में कहेंगे कि एसी का किराया बहुत अधिक होता है और उनसे इन सभी सुविधाओं के पैसे
लिए जाते हैं | उनके लिए एक सीधा सा जवाब यह है कि “रेलवे
का कम सभी यात्रियों को सही और साफ सुथरे तरीके से उनके गंतव्य तक पहुंचाना होता
है न कि किसी एक कोच के यात्रियों को |”