बैनर : एम जी डिस्ट्रीब्यूसन और टिप्स एक्सपोर्ट
निर्माता : एन वेंकटसन और रूपाली मेहता
निर्देशन : अपर्णा सेन
कहानी लेखक : अपर्णा सेन
संगीत : ज़ाकिर हुसैन
कलाकार : राहुल बोस, कोंकणा सेन शर्मा, भीष्म साहनी, सुरेखा सीकरी, सुनील मुखर्जी,
अंजन दत्त, ईशा चौहान, निहारिका सेठ
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए 120 मिनट
रेटिंग : 3.5/5
फिल्म की शुरुआत बच्चे के डरावने चेहरे से होती है | टेरर (भय), दुनिया में लगातार बढ़ता जा रहा है | दंगों के कारण, आतंकी हमलों के कारण, और भी कई कारणों से लगातार भय बढ़ता जा रहा है | इस फिल्म
में सांप्रादयिक दंगों, प्रशासन का इन दंगों के कारण बेबस होना, धर्म का कट्टरपन, लोगों में डर की भावना को बखूबी दिखाया
गया है और साथ ही साथ प्यार को भी बखूबी दिखाया गया है |
सब कुछ अच्छा चल रहा होता है, अचानक सड़क ब्लॉक होती
है और बस दूसरे रास्ते की ओर मुड़ जाती है | अचानक पुलिस आती है
और सबको बस के अंदर बैठने को कहती है | दंगें भड़क गए हैं | बस में एक व्रद्ध मुस्लिम जोड़ा बैठा होता है | जब दंगाई
आते हैं तो एक व्यक्ति कहता है कि ये मुस्लिम हैं और वे मुस्लिम जोड़े को बाहर ले जाते
हैं | अगले दिन सुबह में उसी बूढ़े व्यक्ति के दांत दिखाई देते
हैं | सोचने पर मजबूर कर देने वाला यह द्रश्य यह दिखाता है कि
सांप्रदायिक दंगों में हम हमारी मानवता, विवेक भूल जाते हैं | इसके बाद कहानी आगे बढ़ती है और मीनक्षी अय्यर और जहांगीर चौधरी में धीरे-
धीरे बात-चीत शुरू हो जाती है |
कहानी शुरू होती
है सांप्रादयिक दंगों से, लेकिन कहानी धीरे- धीरे प्यार
में बदलती जाती है | यहाँ ऐसा लगता है कि अब मानो सब कुछ सामान्य
सा हो गया है लेकिन अचानक फिर आग से एक बच्ची को बचाना, फिर मीनक्षी
अय्यर के सामने रात में एक और की मौत | फिर से यह लगने लगता है कि स्थितियाँ कब सामान्य
होगी ?
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