महरौली विधानसभा चुनाव :
कौन होगा अगला दावेदार
दक्षिणी दिल्ली में महरौली विधानसभा क्षेत्र के 1,44,000 लोगों
ने अपना फैसला मतदान पेटियों में बंद कर दिया है | यहाँ
लगभग 65% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है | महरौली
विधानसभा क्षेत्र से काँग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा अध्यक्ष योगानन्द शास्त्री, बीजेपी
से प्रवेश वर्मा , आम आदमी पार्टी से नरेंद्र सिंह सेजवाल, बीएसपी
से सुरेन्द्र पवार, निर्दलीय
प्रत्याशी अनुपम कुमार शर्मा और बिमलेश कुमार झा, एनसीपी
से प्रेम दत्त शर्मा और आदर्शवादी काँग्रेस पार्टी से नरेंद्र सिंह चुनावी मैदान
में हैं | यदि पूरे क्षेत्र को देखा जाए तो यहाँ योगानन्द
शास्त्री और प्रवेश वर्मा के बीच कड़ी टक्कर है |
बीएसपी के उम्मीदवार की बात की जाए तो वे पहले काँग्रेस से टिकट मांगने के
लिए काफी प्रयास कर चुके थे लेकिन जब उन्हे टिकट नहीं मिला तो वे बीएसपी से टिकट
लेकर चुनावी मैदान में उतार आए |
प्रवेश वर्मा के ऊपर एक
आपराधिक मामला चल रहा है | बीजेपी, काँग्रेस, बीएसपी, आप सभी
के उम्मीदवार करोड़पति हैं |
महरौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुसुमपुर पहाड़ी, राजोकरी
गाँव, वसंत कुंज, मसुदपुर, किशनगढ़
गाँव, जे.एन.यू. , बेरसराय,
कटवारिया सराय, महरौली,
लाडोसराय और साकेत हैं | यहाँ कुल 160 मतदान केंद्र हैं |
अगर मुद्दों की बात की जाए तो महरौली विधानसभा क्षेत्र में जगह के हिसाब से
अलग- अलग मुद्दे हैं | बेरसराय, कुसुमपुर
पहाड़ी, राजोकरी गाँव, मसुदपुर, किशनगढ़
गाँव, जे.एन.यू., कटवारिया
सराय, महरौली,
लाडोसराय की बात करें तो यहाँ की मुख्य समस्यायें पानी, बिजली, सीवर की
उचित व्यवस्था, पार्किंग की उचित व्यवस्था, मंहगाई
हैं | एक ग्रहिणी ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुआ कहा था “चुनाव
आए और प्याज 30 रुपए प्रति किलो हो गया और टमाटर भी सस्ता हो गया,
क्यों ? सरकार हमें क्या बेवकूफ समझती है क्या ?” एक
टेम्पो वाले का कहना था कि “मंहगाई इतनी बढ़ गयी है कि अब गुजारा नहीं हो पाता |” यहाँ के
लोगों का कहना है कि सरकार ने हमारे साथ पक्षपात किया है | वसंत
कुंज और साकेत में सारा पैसा लगा दिया गया है, यहाँ के
लिए तो कुछ बचा ही नहीं | अगर बात की जाए वसंत कुंज और साकेत की, तो वहाँ
की स्थिति कुछ और ही बयां करती है | वहाँ के
मुद्दों में मुख्तया भ्रष्टाचार और सुशासन हैं | एक
व्यक्ति ने वोट देने के बाद आ कर कहा कि “ऐसा नहीं है मंहगाई बढ़ी है, मैं
मानता हूँ कि मंहगाई बढ़ी है लेकिन साथ ही साथ आमदनी भी बढ़ी है | इस बात
को भी ध्यान में रखना चाहिए |” एक कामकाजी महिला ने कहा कि “हम अब बदलाव चाहते हैं |” कई लोगों के तो वोटर लिस्ट में नाम ही नहीं थे |
अगर वोटिंग की बात की जाए
तो बेरसराय में लड़ाई बीएसपी और बीजेपी की ,
लाडोसराय में आप और बीजेपी, वसंत कुंज में लगभग काँग्रेस और बीजेपी,
कुसुमपुर पहाड़ी में काँग्रेस और बीजेपी, किशनगढ़
में भी बीजेपी और काँग्रेस, महरौली में बीएसपी और बीजेपी की है |
कटवारिया सराय में आप और बीएसपी को फायदा मिलता दिखाई दे रहा है क्योंकि यहाँ
मुस्लिम आबादी ज्यादा है | बेरसराय में कुल तीन मतदान केंद्र थे जिसमें से 61 में
1345, 62 में 1069, 63 में
1112 कुल प्रत्याशी थे | कुल प्रत्याशी 3526 थे | पिछली
बार यहाँ वोट लगभग 1500 पड़ा था लेकिन इस बार 2200 से ऊपर वोट पड़ा है |
अगर राजनीतिक
समीकरणों की बात करें तो यहाँ बीजेपी को बढ़त मिलती हुई दिखाई दे रही है | इसमें
कुल मतदाता 1.44 लाख हैं जिसमें 80,791 पुरुष
और 63,472 महिलाएं हैं |
काँग्रेस पिछले 10 सालों से यहाँ गद्दी पर बैठी हुई है | यहाँ
पानी और सीवर की बहुत बड़ी समस्या है | यहाँ
50% से ज्यादा पानी के कनेक्शन अनाधिकृत हैं | यहाँ
चार जलाशयों के निर्माण के लिए के लिए 210 करोड़ रुपए की स्वीकृति हो चुकी है लेकिन पानी की समस्या की स्थिति अभी
भी जस की तस है | अनधिकृत ढांचों का निर्माण भी यहाँ की एक बड़ी समस्या है
जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है | 90 करोड़
रुपए सीवरेज़ योजना के लिए स्वीकृत हो चुका है | यहाँ
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन सभी समस्याओं को हल करने के लिए इतना ज्यादा समय
क्यों लग रहा है ? यहाँ सड़कों की बहुत बड़ी समस्या है | छोटी-छोटी
सकरी सड़कें बनी हुई हैं जिनसे निकलना तक मुश्किल हो जाता है | कुसुमपुर पहाड़ी में 4200 बस्तियों को साफ करके आठ मंज़िला
इमारत बनाई जा रही है | ये वहाँ एक बड़ा मुद्दा बन चुका है | इन सभी
कारणों से मतदान प्रतिशत काँग्रेस के विरोध में जाता हुआ दिखाई दे रहा है | बीजेपी
के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा का कहना है कि यदि वे सत्ता में आते हैं तो वे पानी के
वितरण के लिए एक सुव्यवस्थित तंत्र विकसित करेंगे | आप के उम्मीदवार
की बात करें तो वे लाडोसराय से हैं और उनका प्रभाव क्षेत्र वहीं तक दिखाई दे रहा है
| बाकी जगह है भी तो थोड़ा बहुत | बात करें
अगर बीएसपी के उम्मीदवार की, तो वे बेरसराय से हैं | बेरसराय में
उनका अच्छा खासा प्रभाव देखा जा सकता है | महरौली में
भी रिश्तेदारी की वजह से कुछ ज्यादा प्रभाव
देखा जा सकता है | बाकीं जगहों पर बहुत कम प्रभाव है | यही कहा जा
सकता है कि असली लड़ाई बीजेपी और काँग्रेस की है | ऐसा नहीं
है कि आप और बीएसपी को वोट नहीं मिल रहे हैं | उन्हें भी वोट मिल रहे हैं लेकिन एक सीमित क्षेत्र
तक | हालांकि ये तो 8 दिसंबर को ही पता चलेगा कि कौन जीता है ?? बीजेपी, काँग्रेस, बीएसपी या
आप या फिर कोई और
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