आओ प्रण लें ,कैंसर को दूर करने का |
भारत के लिए 13 जनवरी, साल 2014 का दिन कुछ मायनों में गौरव का दिन था | इस दिन भारत में पोलियो के
एक भी मामले ना आते हुए पूरे तीन साल हो गए थे | आज विश्व कैंसर दिवस है | कैंसर बीमारी भारत ही नहीं
पूरे विश्व में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में चुनौती बन कर सामने आ
रही है | कैंसर के रोगियों की बात भारत
में की जाए तो यह दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | सरकार ने माना कि देश में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है और पिछले साल
इनकी अनुमानित संख्या करीब 11 लाख थी। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने 2012 में राज्यसभा को
दिये भाषण में कहा था कि कैंसर रोगियों की
अनुमानित संख्या वर्ष 2009 में 10,45,268 थी
जो वर्ष 2010 में 10,66,483 और वर्ष 2011
में 10,88,570 रही । यूरोपीय संघ के देशों में
कैंसर के आर्थिक पहलू पर पहली बार हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इस बीमारी से
करीब 10,458 अरब रुपये का बोझ पड़ता है | एक समाजसेवी संगठन कैंसर रिसर्च यूके ने इसे ''भारी बोझ'' कहा
है | लांसेट आंकोलॉजी में प्रकाशित इन आंकड़ों में
दवाओं, इलाज और इस दौरान कमाई के नुकसान को भी शामिल किया
गया है | ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी और किंग्स कॉलेज लंदन के
शोधकर्ताओं ने 2009 में
यूरोपीय संघ के सभी 27 देशों के आंकड़ों का अध्ययन किया था | बानयूए तांग पत्रिका के अनुसार, चीन में हर मिनट कैंसर रोग से ग्रस्त 6 लोगों
का पता चल रहा है | पूरी दुनिया में कैंसर की बीमारी और इससे
होने वाली मौतों में इज़ाफ़ा हो रहा है | एक अनुमान के
मुताबिक़ सिर्फ़ 2012 में ही कैंसर के 1.4 करोड़ नए मामले सामने आए | विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) की रिपोर्ट दर्शाती है कि अगले दो दशक के दौरान हर साल कैंसर के नए मामलों
की संख्या बढ़कर 2.2 करोड़ हो सकती है | इस रिपोर्ट के मुताबिक़ इस दौरान कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या हर साल 82 लाख से बढ़कर 1.3 करोड़ हो जाएगी |
फेफड़े का कैंसर |
यदि कैंसर
के विभिन्न प्रकारों की बात की जाए तो कैंसर बीमारी कई प्रकार की हो सकती है | फेफड़ा कैंसर, स्तन कैंसर, बड़ी
आंत कैंसर, लिवर कैंसर, स्टमक कैंसर, मुख कैंसर,ब्लड कैंसर आदि इन्हीं के उदाहरण हैं | दुनिया भर में
कैंसर के मामलों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा कैंसर के मामले फेफड़े, स्तन और बड़ी आंत के आतें हैं | लिवर, स्टमक कैंसर के भी कई मामले सामने आयें हैं | हर साल
सबसे अधिक मौतें फेफड़े के कैंसर से होतीं हैं और इसके बाद स्तन कैंसर से होती हैं | एशिया में ब्लड कैंसर एक बहुत बड़ी समस्या है | ब्लड कैंसर का बच्ची वाला विज्ञापन तो आप सभी ने देखा ही होगा | भारत में कैंसर रोगियों के बढ्ने का एक बड़ा कारण तंबाकू भी है | स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने 2012 में राज्यसभा
को दिये भाषण में कहा था देश में तंबाकू सेवन
के कारण होने वाले रोगों की वजह से प्रत्येक वर्ष 8-9 लाख लोगों की मौत हो जाती है
| देश में 40% कैंसर का कारण तंबाकू है | कैंसर के मामलों को दर्शाता हुआ ये चार्ट कई बातों को स्पष्ट
कर रहा है | यह चार्ट 2012 में कैंसर के फैलाव को दर्शा रहा है
|
प्रकार
|
नए मामले
|
कुल मामलों का प्रतिशत
|
फेफड़ा
|
18 लाख
|
13
|
स्तन
|
17 लाख
|
11.9
|
बड़ी आंत
|
14 लाख
|
9.7
|
सरकार
द्वारा किए गए प्रयास :
यदि
भारत में कैंसर के रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों की बात करें तो सरकार इसके लिए प्रयत्न
कर रही है लेकिन ये सभी कोशिशें बहुत कम हैं | भारत सरकार ने कैंसर
को रोकने के लिए और इलाज के उद्देश्य के लिए 1975-76 में राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण
कार्यक्रम शुरू किया | बीमारों की बदलती आवश्यकताओं
को पूरा करने के लिए इसमें तीन संशोधन किए गए जिसमें तीसरा संशोधन दिसंबर 2004 में हुआ। समस्या की गंभीरता
और देश में कैसर के इलाज की सुविधाओं की उपलब्धता में भौगोलिक स्तर पर ध्यान
केंद्रित किया गया। कार्यक्रम की संभावनाओं को देखते हुए विभिन्न योजनाओं के तहत
सहायता राशि बढ़ा दी गई है।
संशोधित कार्यक्रम के अंतर्गत 5 महत्वपूर्ण स्कीमें आती हैं:
- नए क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों को मान्यता। इन
केंद्रों को 5
करोड़ रुपए का एकबारगी अनुदान दिया जाता है।
- पहले से विद्यमान क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों को
मजबूत बनाना। इन केंद्रों को 3 करोड़ रुपए का एकबारगी अनुदान दिया जाता
है।
- ओंकोलॉजी विभाग की स्थापना के लिए सरकारी संस्थानों
(मेडिकल कालेजों और सरकारी अस्पतालों) को दिए जाने वाले अनुदान की राशि
बढ़ाकर 3
करोड़ रुपए कर दी गई है।
- जिला कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम - इन्हें दिए
जाने वाले अनुदान की रकम बढ़ाकर 90 लाख रुपए कर दी गई है जिसे 5 वर्षों में दिया
जाएगा।
- विकेंद्रीकृत गैर-सरकारी संगठन स्कीम - सूचना, शिक्षा और संपर्क गतिविधियों के लिए गैर-सरकारी संगठनों को प्रति शिविर 8 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा।
- सरकार तंबाकू का सेवन न करने के लिए कई तरह के विज्ञापन चला रही है |
कैंसर बीमारी के
रोकथाम के उपाय :
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में कुल कैंसर के मामलों में 60 प्रतिशत
से अधिक मामले अफ्रीका, एशिया और मध्य और दक्षिण अमरीका से
हैं | ज़्यादातर कैंसर से होने वाली मौतें जानकारी न हो पाने
के कारण हो जाती हैं | यदि समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए
तो कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है | कैंसर किसी भी
अवस्था में हो सकता है | बचपन में होने वाले कैंसर को काफी
हद तक रोका जा सकता है, बस इसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है | कल-कारखानों में सुरक्षा मानकों की कमी के चलते बड़ी संख्या में कैंसर फैल
रहा है | सरकार को इस दिशा में कड़े कदम उठाने की सख्त जरूरत
है | यदि सरकार के
बजट की बात करें, तो कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए
सरकार का बजट बहुत कम है | इसके लिए शोध को बढ़ावा देना चाहिए
लेकिन ये सब बहुत धीमी गति से हो रहा है | समय के साथ-साथ कई
तकनीकियाँ हमारे सामने आ रही हैं |
कैंसर का इलाज : एक बड़ी समस्या
भारत देश में कैंसर के इलाज की एक बहुत बड़ी समस्या है | पहली सबसे बड़ी समस्या अस्पतालों की कमी होना है | लोगों को कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज कराने के लिए
दूर-दराज क्षेत्रों में जाना पड़ता है | सरकारी अस्पतालों में तो इन जैसी
बीमारियों के लिए अपने नंबर का कई-कई महीनों इंतेजार करना पड़ता है | ऐसे में एक गरीब इंसान पैसे की कमी के चलते इलाज समय
रहते नहीं करा पाता है | निजी अस्पतालों की बात की जाए तो
उनका इलाज बहुत मंहगा है | दवाइयों के खर्चे की बात करें तो काफी ज्यादा आता है | लेकिन अभी हाल-फिलहाल में दवा
बनाने वाली कंपनी नोवार्टिस सुप्रीम कोर्ट में भारत के पेटेंट कानून के खिलाफ
मामला हार गयी है | यह कदम
भारत ही नहीं वरन कई विकासशील देशों के लिए कैंसर से लड़ने के लिए मील का पत्थर
साबित होगा | यह जीत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नोवार्टिस
दवा कंपनी का कैंसर का खर्च करीब एक लाख 30 हज़ार रुपए प्रति महिना है और अब इसका खर्च
लगभग 9,000 रुपए प्रति महिना हो जाएगा |
कैंसर बीमारी कोई बड़ी बीमारी नहीं है | इसका इलाज संभव है | अगर समय रहते इसका इलाज करा लिया जाए | विश्व स्तर पर कई संस्थाएं कैंसर के रोकथाम के लिए कार्यरत हैं |
कैंसर बीमारी कोई बड़ी बीमारी नहीं है | इसका इलाज संभव है | अगर समय रहते इसका इलाज करा लिया जाए | विश्व स्तर पर कई संस्थाएं कैंसर के रोकथाम के लिए कार्यरत हैं |
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