आज अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस(World Theater Day) है | मैं इससे पहले नहीं जानता था कि अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस कब है और शायद तब मेरा इससे कोई वास्ता भी नहीं था | लेकिन कहीं न कहीं दिल के किसी कोने में रंगमंच के लिए मेरा सम्मान था | मैं जब आईआईएमसी आया, तो मैंने यहाँ सबसे पहले नाटक "जुलूस" देखा, उस नाटक में वर्तमान भारत की समस्या को बखूबी ढंग से पेश किया गया था | मुझे वो नाटक बहुत पसंद आया था और मैंने पहली बार किसी नाटक की समीक्षा लिखी | मेरा भी मन करने लगा कि मैं भी थियेटर ज्वाइन करूँ और मैंने कुछ दिनों बाद थियेटर ज्वाइन कर लिया | ज्वाइन तो कर लिया लेकिन मेरे लिए थियेटर करना हमेशा से एक चुनौती रहा है और हमेशा रहेगा भी | मेरे अनुसार, थियेटर करना कोई आसान बात नहीं है | "थियेटर एक कला है जिसके माध्यम से आप लोगों से बहुत ही अच्छे तरीके से जुड़ जाते हैं | कभी भी कोई कलाकार अपनी कला का घमंड नहीं करता है | ये बात भी मैंने थियेटर में ही देखी"| आज मैंने जो कुछ भी थियेटर करना सीखा है,वो सब जेएनयू इप्टा की बदौलत ही सीखा है | उनके बदौलत ही मैंने कपूरथला और पंजाब में प्ले किया और वो एक बहुत ही अच्छा अनुभव था | थियेटर आपको मानसिक शांति प्रदान करता है | मैं जब भी थियेटर करने जाता था, मैं बहुत ही टेंशन फ्री हो जाता था | इसमें ऐसी शक्ति है कि आप खुश रह सकते हैं | मैंने इप्टा समूह में बहुत सी बातें सीखीं, जिनमें से कुछ से मैं सहमत नहीं हुआ, लेकिन तब भी मैंने बहुत कुछ सीखा | थियेटर एक परिवार की तरह है और मैं भी उस परिवार का हिस्सा हूँ | और इसे सफल बनाने के लिए जेएनयू इप्टा समूह का मैं शुक्रगुजार हूँ और इसके लिए सभी लोगों का तहे दिल से शुक्रिय अदा करता हूँ | आप सभी को रंगमंच दिवस बहुत-बहुत मुबारक | Thanku Thanku very much IPTA. Thanks to my IIMC friends.
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