“A new Boss in Africa”
अफ्रीका में बढ़ता चीन का प्रभुत्व
![]() |
African Continent |
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अफ्रीका का सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से महत्त्व बढ़ता जा रहा है। अफ्रीका महाद्वीप में विभिन्न देशों के लिए ऐसे कौन से हित हैं जिनके कारण अफ्रीका की तरफ कई देशों का रुझान लगातार बढ़ रहा है? ओबामा की हालिया अफ्रीका यात्रा इसी का एक परिणाम थी। 2014 में चीन के विशेष प्रतिनिधिमंडल ने अफ्रीका के कई देशों की यात्रा की थी और अभी 2015 के अंत तक भारत में तीसरा अफ्रीका सम्मलेन होने जा रहा है। पिछले कुछ दशकों में चीन ने सबसे ज्यादा निवेश अफ्रीका महाद्वीप में किया है. सवाल ये है कि चीन अफ्रीका में बहुत भारी मात्रा में निवेश क्यों कर रहा है, क्या चीन के ऊपर क्या अफ्रीका की निर्भरता बढती जा रही है, क्या चीन अफ्रीका के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, क्या वह अपने देश की बढती ऊर्जा खपत को पूरा करने के लिए अफ्रीका के संसाधनों का बुरी तरह से दोहन कर रहा है? कहीं चीन भी अफ्रीका में एक आर्थिक औपनिवेशिक देश की भांति तो व्यवहार नहीं कर रहा है? क्या अफ्रीका महाद्वीप कई स्वार्थ हितों के चलते यूएस, चीन, भारत, ब्राज़ील और अन्य कई देशों के लिए मात्र प्रतिस्पर्धा का बाजार बन गया है?
![]() |
Goods trade with Africa, 2013,$bnSource-UNCIAD, IMF & The Economist |
अफ्रीका जनसंख्या और क्षेत्रफल के आधार पर विश्व में दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। 2013 के आंकड़ों के अनुसार, अफ्रीका की कुल जनसंख्या 1.1 बिलियन है. पूरे विश्व की 15% आबादी का भार अफ्रीका वहन कर रहा है। 50% से ज्यादा अफ्रीका की आबादी युवा है। अफ्रीका महाद्वीप में कुल 55 देश हैं, जहाँ निवेश में लगातार प्रगति हो रही है।
अफ्रीका की अर्थव्यवस्था सालाना 5.3% की दर से लगातार बढ़ रही है। 80 के दशक में पूरे अफ्रीका में विकास दर नकारात्मक रही, 90 के दशक में यूएस ने अफ्रीका को इनकी हालत में छोड़ दिया तो उस समय भारत, चीन और ब्राज़ील ने अफ्रीका में अपने पाँव पसारे तो अफ्रीका की विकास दर 3% तक पहुंच गयी। 2000 के दशक में दर करीब 4 % तक पहुंच गयी और अभी 5.3 % की विकास दर से अफ्रीका आगे बढ़ रहा है।














